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वेनिस से मेरा लगाव

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नमस्ते! कुछ दिनों पहले मैं किसी भारतीय इंसान से वेनिस के बारे में बात कर रही थी और सोचा है कि इस शहर के बारे में मेरे हिन्दी ब्लॉग पर भी बताना अच्छा होगा। मैं ने वेनिस के विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी और इस वजह से वहाँ पर कई सालों के लिए रही थी। वेनिस भारत की संस्कृति के प्रति मेरा प्रेम भी होने लगा। मैं वेनिस के पास एक शहर में पैदा हुई हूँ लेकिन जब से वेनिस में ही रहने लगी थी तब से उसके लिए मेरा प्रेम बढ़ता गया और आजकल वेनिस में न रहने पर भी मैं उसको अपने जन्मस्थान से अधिक अपना शहर मान लेती हूँ। जाने क्यों वेनिस पहुंचते ही हर बार मेरा दिल धड़कने लगता है। वेनिस में रहना एक खास अनुभव होता है जो सिर्फ इसका सैर करने से समझा नहीं जा सकता। वेनिस में मेरी पहली रात की याद अभी तक है, गाड़ी के बिना किसी शोर, वेनिस की गालियों में बस लोगों की पत्थर पर गूंजती हुई पदचाप और आवाज़ें...

आज से यह मेरा हिन्दी चिट्ठा हो गया है

नमस्ते! यह चिट्ठा मैंने ग्यारह साल के बाद खोल दिया है क्योंकि हिंदी का और प्रयोग करना चाहती हूँ और चिट्ठे पर लिखना उपयोगी अभ्यास हो सकता है. शायद कोई इसे नहीं पढ़ेगा पर कोई बात नहीं क्योंकि यह चिट्ठा विशेष रूप से अपने आप और अपने अभ्यास के लिए है. खांसी की वजह से कुछ दिनों के बाद आज मैं गाने का रियाज फिर से करने लगी. राग मेघ का रियाज़ शुरू किया है और नए-नए स्वरों का आनंद लेने लगी हूँ. बरसात का मौसम नहीं होने पर भी मैं इस राग का अच्छा रियाज़ करना चाहती थी क्योंकि गुरुजी से लंदन में पिछली गर्मियों के दौरान सीखने लगी थी लेकिन उसके लिए मुझे काफी समय अब तक नहीं मिला. पहले परीक्षाएं तैयार करना पड़ा था और बाद में अपनी कई कक्षाओं और कार्यक्रमों की तैयारी करनी थी. आजकल की छुट्टियों में भी बहुत काम करना था लेकिन अभी आवाज़ बेहतर हो गई और पूरी साधना कर सकती हूँ. नया राग शुरू करना हमेशा थोड़ा-सा मुश्किल होता है क्योंकि उसकी स्वरों की सीढ़ी की आदत अभी तक नहीं आ चुकी है पर सबसे अच्छा आनंद स्वर साधना से आ जाता है और गुरुजी की बहुत याद आती हैं. मेरा सौभाग्य है कि इस महीने के अंत में